Posted inकहानी, लघुकथा

नेतागिरी

दिल्ली में ‘आप’ की सरकार बनी। निठल्ले और लम्पट्ट खुश हुए। सरकार ने स्कूलों का निरीक्षण करने को उनकी टीमें बनाई। विद्यालय प्रबन्ध समिति में भी उनकी संख्या निश्चित कर दी गई।         अहंकार और उमंग के साथ ये लोग स्कूलों में पहुँचने लगे। कार्य को जाँचने और टीचर्स को समझाने की प्रक्रिया चल पड़ी। मेरे […]

Posted inकहानी, लघुकथा

लोकतंत्र

विद्यालय में एक रोज शिक्षामंत्री आ धमके । भय का वातावरण चारों तरफ फैल गया । प्रिंसीपल आव-भगत में लग गए । उनके साथ क्षेत्रिय विधायक और पार्षद भी थे । सभी के साथ चमचों की भीड़ भी साथ चल रही थी । भवन निरीक्षण में फतवे पर फतवे जारी हो रहे थे । त्रुटियों पर प्रिंसीपल को […]

Posted inकहानी, लघुकथा

आजमाया हुआ नुस्‍खा

दो गहरे मित्र । दोनों नामी आईटी कंपनी में सेवारत । दोनों किसी भी कठिन काम या समस्‍या का समाधान- निदान आपसी विचार- विमर्श से, हमेशा सही से करते । स्‍वयं तो संतुष्‍ट तो होते ही, अपने से उच्‍च अधिकारियों की प्रशंसा के पात्र बनते । प्रसन्‍न होते । वार्षिक मूल्‍यांकन पर जब दोनों को […]

Posted inकहानी, लघुकथा

भय की कगार पर 

सीढ़ियाँँ चढ़ती जैसे ही मैं छत पर पहुँची, इधर से उधर बलखाती गिलहरियाँ, आपस में बतियाते कबूतर और ऊपर आसमान में चमकता सूरज अपनी बुलंदियों पर था। अहा! कितना मनोरम दृश्य था। अचानक मन में ख्याल आया, क्यों न कैद कर लूँ इन सबको अपने कैमरे में…। फोकस बनाया ही था कि एक कबूतर महराज […]

Posted inकहानी, लघुकथा

बिल्ली, बेटा और माँ

चतुर-सयानी, चुस्त-दुरूस्त बिल्ली कई दिनांे से ढ़ीली-ढ़ाली, लस्त-पस्त होती जा रही थी। उसकी यह हालत देख चिड़िया चूहे पहले से बेखौफ हो गये थे। क्योंकि अब वह अपने लिए भोजन का जुगाड़ कर पाने में भी असमर्थ थी। भूखी बिल्ली रोने लगती तो घर से भगा दी जाती।  आज तो वह कुछ ज्यादा ही रो […]

Posted inकहानी, लघुकथा

ऊँचाई

महीनों से बीमार विश्वा का दुनियादारी से जैसे विश्वास ही उठ गया था। अच्छे दिनों में जिनके साथ बनती नहीं थी उनसे तो इन बुरे दिनों में क्या आस थी। परन्तु जिन्हें वह अच्छे साथी समझता था, अपने समझता था, जिनके साथ दाँत काटी रोटी थी, जिनके काम आता था उन्होंने असाध्य बीमारी से ग्रस्त […]

Posted inकहानी, लघुकथा

न खींच मेरी फोटो

वह अपने कंधे पर अपने चार साल के बच्चे को लटकाए बेतहाशा चला जा रहा था। उसके पीछे उसकी पत्नी भी दो साल के अपने बच्चे को अपनी छाती से चिपकाए यंत्रवत् सी चली आ रही थी। तभी एकाएक धप्प से पति सड़क पर बैठ गया और जोर-जोर से हाँफने-काँपने लगा। यह देख उसकी पत्नी […]

Posted inकहानी, लघुकथा

फितरतन

’कल पीटे गये थे। आज फिर तुम आ गये। शर्म नहीं आती क्या? ’हूं तो क्या हुआ? पत्रकार हूं। अपना काम तो करूंगा ही।’ ’तुम अपना काम नहीं करते,सिर्फ हमारे आन्दोलन को बदनाम कर रहे हो। किसानों को देशद्रोही कहते हुए और न जाने क्या-क्या झूठे अरोप-प्रत्यारोप लगा-लगा कर बस गोदी मीडिया का काम कर […]