दिसंबर का महीना था। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। विवेक जब ऑफिस से घर पहुँचा, तो उसने देखा बच्चों के साथ हॉल में सोफे पर स्वेटर पहनकर बैठे टीवी देख रहे उसके पिता ठंड से ठिठुर रहे थे। विवेक ने एक दिन पहले अपने लिए लाए गरम जैकेट को तुरंत अपने कमरे से लाकर […]
लघुकथा
अंजानी सजा
राज और अनिल दोनों दोस्त थे। वे एक ही कॉलोनी में रहते थे और एक ही प्रायवेट कंपनी में नौकरी करते थे। वे दोनों मनचले स्वभाव के थे। एक बार जब वे दोनों ऑफिस से लौट रहे थे, तो शहर के मुख्य बाजार में एक चाय के ठेले पर चाय पीने के लिए रुकें, तभी […]
प्यार की अंगूठी
दृश्य-एक: वह सुनार की दुकान में बैठा था।इस सुनार से उसके तीस साल पुराने सम्बन्ध थे और यह सुनार बहुत ही पारखी और अच्छी साख वाला था।सुनार अभी दुकान पर नहीं पहुंचा था, इसलिए प्रतीक्षा करना ही उसे वाजिब लगा।वह सुनार के पास एक हीरे की अंगूठी गिरवी रखना चाहता था, जो उसके प्यार की […]
मरीज की फीस
“डॉक्टर साहब ने फीस बढाकर सात सौ रुपये कर दी है।10 दिन में एक बार देखने की!”सड़क पर घूमते रामनिवासजी ने दो व्यक्तियों का वार्तालाप सुना तो चौंक उठे, “ऐं?मेरा बेटा भी तो डॉक्टर है ये तो मैं भूल ही जाता हूँ।वह भी तो देखने की *फीस* लेता है ,मैं यही करूंगा अब!”बड़बड़ाते हुए वे […]
साझी तकलीफ
इस बार भी खूब ठंड पड़ी। सर्दियाये मौसम की मार ने कई लोगों की जान ले ली। झुग्गी-झोपड़ियों में उसकी कृपा विशेष रूप से बरसी। हाँ, सदा की तरह। सदा की तरह अनेक लोग काल-कवलित। सड़क किनारे फटी कथरी ओढ़, अलाव की मद्धिम पड़ती गर्मी के किनारे सोए लोगों को भी सर्दी ने […]
स्लो प्वाईजन
अस्सी वर्षीय शन्नो देवी चुपचाप अपने कमरे में लेटी लगातार छत पर लगे पंखे को घूर रही है ।उसके अंदर ,बाहर सब ओर एक सन्नाटा है ।कहने को उसके साथ बेटे, बहू ,पोते पोतियों का भरा पूरा परिवार है ।पति की मृत्यु के पश्चात और अस्वस्थता के कारण उसका बाहर आना जाना और सखी […]
अपनी ही कैद
जयंत हमेशा सहमा हुआ रहता था। हंसी तो कभी उसके चेहरे पर दिखती ही नहीं थी । पढ़ाई में वह होशियार था। 25 साल में उसकी नौकरी लग गई और नौकरी लगते ही उसकी शादी हो गई । उसकी पत्नी ज्योति को उसकी सूरत में कुछ दबाव नज़र आया । ज्योति ने पूछा तो जयंत ने उसे बताया “ जब मैं 7 […]