“चार-चार बेटे हो कर भी कोई नहीं जो अंतिम समय मुँह में गंगाजल डाल सके |” अस्पताल स्टॉफ के लोग आपस में बात कर रहे थे | सेठ धनराज हार्ट अटैक होने से आज अस्पताल में वेंटीलेटर पर हैं , चारों बेटे व्यापार के सिलसिले में देश के बाहर हैं | दिल के कुछ भाग […]
लघुकथा
इतनी सी बात
मैं धर्म संकट में फंस गया था । क्या करूं, क्या न करूं ? सौ सौ के नोट लूट के माल की तरह कुछ सोफे पर तो कुछ कालीन पर बिन बुलाये मेहमान की तरह बेकद्रे से पड़े हुए थे । इन्हें मेरे गांव का एक किसान यहां फेंक गया था । मेरे लाख मना […]
प्रेम-प्यार
सर्दियों की अलशाम दो जोड़े पाँव समुद्र किनारे रेत पर दौड़े जा रहे थे। लड़की आगे थी और पीछे भाग रहा लड़का उसे पकड़ने का प्रयास कर रहा था। “रूक जाओ रश्मि! इतनी तेज मत भागो, गिर जाओगी।” “गिरती हूँ तो गिर जाऊँ, तुम्हें क्या? मैं न भी रहूँगी तो तुम्हें क्या फर्क पड़ेगा? तुम्हें […]
मेरे जाने के दौरान
शाम के सात बजे होंगे।टहलता हुआ मैं टावर की सातवीं मंजिल पर बने अपने फ्लैट की बालकनी में आया।अचानक एक विचित्र घटना घट गई।अज़ीब सा आवेग आया और मैं बालकनी की रेलिंग लाँघ सातवीं मंजिल से नीचे ज़मीन पर आ गिरा। हालांकि मैं ऊपर ही था,लेकिन नीचे भी पड़ा था। तुरन्त ही पत्नी और बेटे […]
हनीट्रैप
मॉल के प्रवेश द्वार के किनारों पर लगे बड़े -बड़े होर्डिंग्स पर लिखे आकर्षक ऑफर्स ने अंजू का ध्यान अपनी ओर खींच ही लिया।आगे बढ़ते ही एक ओर सुंदर परिधानों में सजे बाई वन गेट टू का ऑफर देते माॅडल के विज्ञापन तो दूसरी ओर रंग-बिरंगे पैकेट्स में लगे खाद्यान्नों के ढेर पर एक पर […]
उलझो मत।सुलझो
वह सुबह-सुबह इस बियाबान समुद्र किनारे घूमने को निकला तो सामने चौंकाने वाला नज़ारा था।एक भद्रपुरुष सा लगने वाला शराबी वहीं तट पर मछली पकड़ने वाले जाल में लिपटा पड़ा था।वह हाथ-पाँव मार रहा था,लेकिन सुलझने की बजाय और उलझता जा रहा था। वह दौड़ कर शराबी के पास पहुंचा, जाल को सुलझाने की कोशिश […]