Mittee ka Prem Short Story: रामू किसान का बेटा था l किसानी उसका पुस्तैनी धंधा था l वह जी तोड़ मेहनत करता किंतु , दो – तीन वर्षों से कभी बाढ़ , कभी सूखा के कारण फसल चौपट हो रही थी l जो फसल बचती , उसकी कीमत भी मंडी में न मिलती l परिवार के भूखे रहने की नौबत आ गई l वह परेशान होकर खेत में बैठा सोच रहा था कि , इस मिट्टी को मैंने अपने जीवन समझा लेकिन , अब इसे बेचने में ही सार है l कोई और धंधा करूँगा , यह सोचकर वह जाने लगा तो , खेतों की मिट्टी उसके पैरों से लिपट गई l 

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