Hakeekat hindi short story: “क्या कर लोगी तुम मेरा तलाक दोगी ? सुमन मेरी सहयोगी है, ऑफिस में मिलना हो ही जाता है, दोस्ती भी होती ही है , तुम गंवार क्या जानो जिसके पास से मसाले की बदबू आती है।”
ऋचा सोचने लगी, यही सब सुनकर तो सेंट लगाने लगी सजने लगी, फिर भी !
पर ऐसे तो नहीं चलेगा, अपने तीन बड़े बड़े बच्चे मैंने पाले है,सब बता देती हूं उनको, वो मेरे बच्चे हैं।
“सुनो,वो हमारे बेडरूम में क्या कर रही थी, आज मैंने जो देखा वो सब क्या था।”
स्वराज बोला, “कुछ नही, ठोकर लग गई थी, तो उस पर गिर गया था।”
“कैसी ठोकर अब मैं देती हूं आपको ठोकर, निकलो मेरे कमरे से।”
“क्या कर लोगी, तलाक दोगी!”
“तलाक देकर तुम्हें आज़ाद कर दूं ? ताकि तुम और रंगरेलियां मनाओ?”
“तो ये घर छोड़ दोगी? “
“क्यों छोडूं ये घर जिसे मैंने बनाया? जिसके हर कोने में मेरी दुआ है, प्रार्थना है , जहां सास ससुर के रूप में मेरे मेरे माता पिता है, ये तुलसी, ये मोगरा ये पपीता मेरा लगाया हुआ है। आप निकल जाइए यहाँ से, दर दर की ठोकर खाइये फिर वापस आइये।”
स्वराज हाल बेहाल सुमन के पास पहुंचा। “चले जाओ भागो यहां से तुम किसी के सगे नहीं हो। शादी कर रहे थे न मुझसे?” “मैं तुम्हें भी छोड़ रही और ये नौकरी भी।” स्वराज को रिश्तों की हकीकत समझ मे आ गई। वह सड़क किनारे पुल पर बैठकर सोचने लगा, सुमन माफ कर देगी ना? कितनी अच्छी है वो।🌹🌹
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