Aukaat Hindi Short Story: “बहु! ये अदरक क्यों काट रही हो? तुम्हें पता है न, हम अदरक नहीं डालते सब्जी में|”
“मम्मी जी मैं सारी सब्जी में नहीं डाल रही हूँ अदरक, अपने लिए अलग से डाल लूँगी |”
“क्यों, बिना अदरक सब्जी हलक से नीचे नहीं उतरती क्या?”
“ऐसा नहीं है मम्मीजी! रोज तो बिना अदरक का ही खाती हूँ, मगर छोले बिना अदरक के खाने से मुझे थोड़ा गैस हो जाती है| “
“हम तो बरसों से खा रहे हैं| हमें तो कोई परेशानी नहीं होती| और ये राई कौन लाया घर में ? ये भी तुम्हीं
लाई हो न |”
” मम्मीजी जैसे आप चावल को जीरे में भूनते हो न, मुझ राई में भुने हुए पसंद हैं| मैं बस कभी-कभार अपने लिए अलग से…..|”
“ये ‘अलग से’ ‘अलग से’ की क्या रट लगा रखी है बहु? हमारे घर में ये अलग से कुछ नहीं चलता | जो बनता है, जैसे बनता है, वही खाना पड़ेगा|”
“बहु! तुम्हारी मम्मी ठीक कह रही हैं| अब ये तुम्हारा मायका नहीं है| यहाँ पर जो सब खाते है वही खाने की आदत डाल लो| समझ गयी न|”
“सुनिए! आप इस बार ये डॉग बिस्किट का कौन सा फ्लेवर ले आए हैं ? आपको पता नहीं ये हमारे ब्रूनो को बिलकुल नहीं पसंद|” “अरे सॉरी! मैंने ध्यान नहीं दिया, मेज पर रख दो, मैं बदल लाऊंगा|”
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