Abhivyakti kee Asamarthata ka Abhishaap Hindi Kahani : आज मेरे विद्यालय में सीबीएसई की दसवी कक्षा की परीक्षा थी और विषय था गणित। आज सुबह से ही मुझे प्राची से मिलने की उत्सुकता थी। प्राची से पिछले हफ्ते, मै अंगरेज़ी की परीक्षा में मिली थी। प्राची एक दिव्यांग छात्रा थी जो सेरेबल पालसी से ग्रस्त थी,जिसकी वजह से उसका निचला धड़ लकवाग्रस्त था और बोलने में भी उसे बहुत कठनाई होती थी। उसके साथ एक और छात्रा, जो उससे उम्र और कक्षा में कम थी एक स्वयंसेविका के रूप में आती थी और प्राची जब उत्तर बोलती वह उन्हे लिखती थी, अतः प्राची की साथीअनुष्का उसकी लेखिका थी।
अग्रेज़ी की परीक्षा के दौरान प्राची में अदम्य साहस देखा और ये भी अनुभव किया की उसकी कल्पना शक्ति अद्भुत थी। उसकी कहानियों, कविताओं और चरित्रों की समझ अनोखी थी। मैंने प्राची को कहा की वह एक उच्च स्तर की लेखिका बन सकती है। आज गणित की परीक्षा के बाद मैंने उससे मिलकर उस पर लिखी अपनी कविता के बारे में चर्चा करने का निश्चय किया।
अभी परीक्षा का एक घंटा ही गुजरा था की एक आया मेरे पास दौड़ती हुई आई और उसने बताया की वीलचेयर वाली लड़की रो रही है। मै भागते हुए वहाँ पहुंची तो देखा प्राची फुटफूट कर रो रही थी। जब रोने का कारण पूंछा तो वो कुछ बोल नहीं पायी। मैंने अनुष्का से पूंछा तो उसने कहा, “दीदी जो बोल रही है वो मेरी समझ में नहीं आ रहा क्योंकि मैंने ये नहीं पढ़ा है”। दरअसल त्रिकोणमति के प्रश्न में समस्या थी। मैंने प्राची को पानी पिलवाया और उसे समझाया और फिर एक कागज़ पर त्रिकोणमिति की शब्दावली लिख दी और प्राची को कहा वो शब्द पर उंगली रख दे और अनुष्का उसे देखकर लिख दे। अभिव्यक्ति की असमर्थता के अभिशाप को झेलती प्राची को ये छोटी सी मदद थी।
परीक्षा के अंत में जब मैंने उससे पूंछा,“क्या अगली कक्षा में तुम गणित पढ़ोगी”। आँसू भरी आंखो से उसने सिर हिलाकर ‘नहीं’ का संकेत दिया। आधुनिकता और तकनीक के दौर में जहां एनरोइड सिस्टम हैं, टच स्क्रीन तकनीक है क्या हमारा परीक्षा तंत्र दिव्यांग लोगो के लिए कोई ऐसी व्यवस्था नहीं कर सकता जिससे वो अभिव्यक्ति की असमर्थता के अभिशाप से मुक्त हो जाएँ ?
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