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लाल घेरे का डर

गर्मी की तपती दोपहरी… चमकती डामर की सड़क… बार-बार बुशर्ट की बाँह से पसीना पौंछता कालू चुपचाप चले जा रहा था. अपने आसपास से बेखबर उसके दिमाग में रह-रहकर वो बच्चा घूम रहा था जो अभी रास्ते में दुकान पर खड़ा आइसक्रीम खा रहा था. “कैसा होगा उसका महंगी वाली कुल्फी का स्वाद… कौन जाने… […]

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चमक

सुनो लड़के! जरा इस गार्डन की साफ़-सफाई कर दोगे? कितने पैसे लोगे?” गली में कबाड़ वाले लड़के की आवाज सुनकर रजनी बाहर आई. “मेरा नाम राजू है मेमसाब! पूरे तीन सौ रूपये लगेंगे. मगर काम देखने के बाद आप भी याद करोगी.” राजू को रजनी का “लड़का” कहना अच्छा नहीं. थोड़ी देर के मोलभाव के […]

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थोड़ा-सा नमक

सबसे पहले हम एक रेस्टोरेंट में गये अम्मा!” शाम को घर लौटकर उमा ने पूरे दिन का चिट्ठा माँ के आगे खोलना शुरू किया, “वहाँ वो मेरे सामने वाली सीट पर बैठा, खाया-पिया; उसके बाद…” “उसके बाद?” माँ ने उत्सुकता से पूछा। “उसके बाद किसी पार्क में बैठने के लिए हम ऑटो में बैठे।” बेटी […]

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बुलबुले

कामिनी की आँखों में उन्हें इज्जत देने जैसी कोई चीज कभी दिखाई नहीं  दी, वह अलग बात है; लेकिन आज तो उसने हद ही कर दी! न राम-राम न दुआ-सलाम! कमरे में उनका कदम पड़ते ही बरस पड़ी—“आप इधर मत आया करो, प्लीज़!” वे चौंक गये। गोया कि उनके अधिकार को चेलैंज कर दिया गया […]

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शाबाश

तन्वी छोटी सी थी जब उसके पिता नहीं रहे, नानी नानाजी उसे और उसकी माँ को अपने घर ले आये थे. ननिहाल में वैसे बाक़ी सब ठीक था किन्तु माँ ने सबके लाख समझाने पर भी दूसरा विवाह नहीं किया था.  इसलिये जब कभी नानी और माँ में खटकती तो नानी  पहले उसके मरहूम पापा […]

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किस ओर

“हम बालको को इस्कूल पढ़ने भेजे हैं या बेमतलब के काम के लिए। जब देखो मैडमजी नई नई चीजें मंगाती रहवे हैं  । “             “अम्मा अगर आज शीशे और फेविकोल नही ले गया तो मैडम जी मारेंगी। “           “हमाए पास नही है पैसे, किसी तरह पेट काटकर फीस के पैसों की जुगाड़ करो तो रोज […]

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कब तक

उसकी सूनी नज़रें कोने में लगे जाले पर टिकी हुई थीं । तभी एक कीट उस जाले की ओर बढ़ता नज़र आया। वह ध्यान से उसे घूरे जा रही थी।         ” अरे ! यहाँ बैठी क्या कर रही हो ? हॉस्पिटल नही जाना क्या ?” पति ने टोका तो जैसे वह जाग पड़ी।        ” सुनिए […]

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जादुई चिराग

पिछले कई वर्षो से रत्ना और राजेश की तू-तू, मै-मै पर अचानक विराम लग गया आये दिन विवाद, राजेश को रत्ना से कुछ न कुछ शिकायत रहती ही थी  जिनकी परस्परआंख -आंख नही बनती   वे अब हाथो मे हाथ डाले घूमते नजर आ रहे थे वाणी मे भी मधुरता और एक दूसरे के प्रति आदर […]