शादी के पच्चीस साल बाद उसने नफ़ासत के साथ पति से कहा-“स्वीट हार्ट ! इन पच्चीस सालों में हम दोनों ने एक-दूसरे को शिद्दत से प्यार किया और दिया। आज एक काम करते हैं, कुछ ऐसा एक-दूसरे से शेयर करते हैं, जो हमने आपस मे छिपाया हो, मेरा मतलब एक-दूसरे के सामने कन्फेस।लेकिन शर्त ये है कि कोई भी किसी तरह का गिला-शिकवा नहीं करेगा।
“डार्लिंग, शुरुआत तुम करो, पता तो चले कि तुमने। मुझसे क्या-क्या छिपाया है।”-पति ने इसकी जुल्फों में अंगुलियाँ घुमाते हुए कहा।
“था कोई जो मुझे बेपनाह मोहब्बत करता था,उसके हाथों में जादू था, कभी-कभी तो बिना छुए ही मदहोश कर देता, सच कहूँ तो तुमसे भी कभी वो तृप्ति नहीं मिल पाई….।”- पिघला गरम शीशा मानों कानों से होते हुए गालों तक बह गया। आगे के शब्द पति की कानों तक ही नहीं पहुँच पाए।
“क्या हुआ जानू, कहाँ ख़ो गए, किसी की याद आ गयी क्या?बताओ न कौन थी वो?”-पत्नी ने गालों पर चुंबन करते हुए उसे छेडा।
“हाँ, वो जो भी है, आज भी जिद्द करती है कि बेटी दस साल की होने को है, अब तो मुझे पत्नी का दर्जा दे दो,ब तक मुझे दूसरे शहर में रखोगे, वो कहती है, मुझे दीदी से। मिलवाओ, मैं उन्हें सबके साथ रहने पर सहमत कर लूँगी। तुम कहो तो उसे तुमसे मिला दूँ?”-पति ने कहा।
पत्नी को पेट में ऐंठन महसूस हुई, वह बिना चप्पल पहने वॉशरूम की ओर भागी।
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