दिसंबर का महीना था। कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। विवेक जब ऑफिस से घर पहुँचा, तो उसने देखा बच्चों के साथ हॉल में सोफे पर स्वेटर पहनकर बैठे टीवी देख रहे उसके पिता ठंड से ठिठुर रहे थे। विवेक ने एक दिन पहले अपने लिए लाए गरम जैकेट को तुरंत अपने कमरे से लाकर […]
राम मूरत 'राही'
Posted inलघुकथा
अंजानी सजा
राज और अनिल दोनों दोस्त थे। वे एक ही कॉलोनी में रहते थे और एक ही प्रायवेट कंपनी में नौकरी करते थे। वे दोनों मनचले स्वभाव के थे। एक बार जब वे दोनों ऑफिस से लौट रहे थे, तो शहर के मुख्य बाजार में एक चाय के ठेले पर चाय पीने के लिए रुकें, तभी […]