गर्मी की तपती दोपहरी… चमकती डामर की सड़क… बार-बार बुशर्ट की बाँह से पसीना पौंछता कालू चुपचाप चले जा रहा था. अपने आसपास से बेखबर उसके दिमाग में रह-रहकर वो बच्चा घूम रहा था जो अभी रास्ते में दुकान पर खड़ा आइसक्रीम खा रहा था. “कैसा होगा उसका महंगी वाली कुल्फी का स्वाद… कौन जाने… […]
इंजी. आशा शर्मा
Posted inकहानी, लघुकथा
चमक
सुनो लड़के! जरा इस गार्डन की साफ़-सफाई कर दोगे? कितने पैसे लोगे?” गली में कबाड़ वाले लड़के की आवाज सुनकर रजनी बाहर आई. “मेरा नाम राजू है मेमसाब! पूरे तीन सौ रूपये लगेंगे. मगर काम देखने के बाद आप भी याद करोगी.” राजू को रजनी का “लड़का” कहना अच्छा नहीं. थोड़ी देर के मोलभाव के […]