Posted inकहानी, लघुकथा

थोड़ा-सा नमक

सबसे पहले हम एक रेस्टोरेंट में गये अम्मा!” शाम को घर लौटकर उमा ने पूरे दिन का चिट्ठा माँ के आगे खोलना शुरू किया, “वहाँ वो मेरे सामने वाली सीट पर बैठा, खाया-पिया; उसके बाद…” “उसके बाद?” माँ ने उत्सुकता से पूछा। “उसके बाद किसी पार्क में बैठने के लिए हम ऑटो में बैठे।” बेटी […]

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बुलबुले

कामिनी की आँखों में उन्हें इज्जत देने जैसी कोई चीज कभी दिखाई नहीं  दी, वह अलग बात है; लेकिन आज तो उसने हद ही कर दी! न राम-राम न दुआ-सलाम! कमरे में उनका कदम पड़ते ही बरस पड़ी—“आप इधर मत आया करो, प्लीज़!” वे चौंक गये। गोया कि उनके अधिकार को चेलैंज कर दिया गया […]