Chehara: विधायक शास्त्री आज के सेमिनार के मुख्य अतिथि  थे । उन्होंने स्टेज से लगी कुर्सी पर अपनी उपस्थिति दर्ज की। सेमिनार का विषय था , “बाल-श्रम की रोकथाम ” । अन्य अतिथियों की तरह शास्त्रीजी ने  भी बाल-श्रम पर पूरी रिपोर्ट सुना डाली , साथ ही साथ बहुत सारी ऐसी नीतियों पर भी चर्चा की जिनसे इसे रोका जा सके। यहाँ तक कि दंडात्मक कानून की आवश्यकता पर भी बल दिया। उनका भाषण खत्म होते ही हाॅल तालियों की गड़गड़ाहट से गूुंज उठा  ।  शास्त्रीजी गदगद हो गये।

सेमिनार समाप्त होते ही शास्त्रीजी कुर्ता झाड़ते हुए सफेद गाड़ी पर सवार हो घर की ओर निकल पड़े । घर पहुंचते ही गद्द़ेदार सोफे पर सिर टिकाकर आंखें बंद किए लेटे रहे। उन तालियों की गूंज में ही बहुत देर खोए रहे। अचानक उन्होंने आवाज लगाई–छोटू ! पानी ला …….

छोटू सुना नहीं क्या ? …इस बार उनकी आवाज में रुखापन झलक रहा था। थोड़ी ही देर में एक दस-बारह साल का बच्चा हड़बड़ाते हुए हाथ में पानी का ट्रे लिए ड्राइंगरूम में प्रवेश करता है ।

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