Ek Hi Beti Hindi Story: रामजीलाल मास्टर जी का बड़ा बेटा साहिल पढ़ने में होशियार था। आईआईटी, आईआईएम करके वह मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी नौकरी पा गया था। वहीं छोटा बेटा विवेक मुश्किल से दसवीं पास कर पाया था। पिता उसे सारा दिन कोसते रहते… तू किसी काम का नहीं है…नालायक है…।आखिर पिता ने उसे रेता बजरी, सीमेंट (बिल्डिंग मैटेरियल) का काम खुलवा दिया। पिता के बूढ़े होने पर कहीं भी जाना हो, तो छोटा ही जाता था। एक रात रामजीलाल ऐसे सोए कि सुबह उठ ही न पाए थे।
सामाजिक संस्था ‘सहयोग’ द्वारा मास्टर रामजीलाल को मरणोपरांत ‘आजीवन सेवा सम्मान’, निमंत्रण पत्र हाथ में पकड़े विवेक के मन में कशमकश चलने लगी…
पिछले महीने…
“भाईसाहब! मोहल्ले के रामदीन की बेटी की शादी है, बाबूजी तो दूर दराज के गांव, मोहल्ले में किसी भी लड़की की शादी होती तो कन्यादान में यथासंभव रुपया, कपड़ा, बर्तन अवश्य देते थे।”
“छोटे! तू चला जा, मुझे फुर्सत नहीं है।”
उससे पिछले महीने…
” भाई साहब! मास्टर दिलीप का देहांत हो गया है, पिताजी का उनके यहां बहुत आना- जाना था। पिताजी तो दूर-दराज के गांव में भी किसी की मौत हो जाती थी तो दाह संस्कार में अवश्य जाते थे… तेरहवीं पर रुपया -पगड़ी देते थे।”
” मेरी तो आज जरूरी मीटिंग है, छोटे तुम हो आओ।”
फिर आज पता नहीं भाई साहब पहले की तरह खरा जवाब न दे दें…
“तेरा तो फर्ज है छोटे!” उसके अंतर्मन ने उसे फटकार लगाई।
” भाईसाहब! पिताजी की सामाजिक सेवाओं के कारण उन्हें मरणोपरांत सम्मान दिया जाना है, ” हाथ में कार्ड थमाते हुए छोटे ने कहा।
“ठीक है छोटे! मैं समय पर पहुंच जाऊंगा।”
बड़े ने कार्ड को उलट-पुलट कर देखा। कार्ड पर छोटे का नाम लिखा देखकर उसका मूड उखड़ा, वह मन ही मन बुदबुदाया,
” तो क्या हुआ, उनका बड़ा बेटा तो मैं हूं ?”
मंच से मास्टर रामजीलाल की प्रशंसा के पुल बांधे जा रहे थे… जब विवेक का नाम पुकारा गया तो साहिल भी मंच की ओर बढ़ा।
” आप कौन हैं?” उसे मंच पर जाने से रोक दिया गया।
“अरे सुनों! ये रामजीलाल के बड़े बेटे हैं, ” विवेक ने दौड़ते हुए पास आकर कहा।
ऊपर से नीचे तक उसकी ओर देखते हुए आयोजक बोला, “हमने तो सोचा उनका एक ही बेटा है।”
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